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रविवार, 19 जून 2011

गम-ए-जिन्दगी

















अश्क बनकर बह गए जिन्दगी के अरमां

चाहतें  अधूरी रह  गई इसी  दरमियां


खाबों का घरौन्दा टूट कर बिखर गया

हमसे हमारा साया ही जैसे रूठ गया


फूल भी जैसे अब न बिखेर पाये खुशबू

कांटे ही कांटे हैं जीवन में जैसे हरसू


दिल जैसे रो रहा पर होंठ मुस्कराते

गम-ए-जिन्दगी का ज़हर पीते जाते


इस चमन से आज ये सुमन है पूछे

क्या पाया है उसने जिन्दगी से मिल के


क्या पाया है उसने जिन्दगी से मिल के............
                                              


                                       सु..मन                                                                    


25 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!! बहुत भावपूर्ण रचना...

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  2. दर्द के एहसास से भरी .. कोमल प्रस्तुति. ..!!

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  3. दिल से लिखी गयी रचना आभार ....

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  4. एक विस्तृत आसमां है,
    राह मे तेरी खड़ा है,
    अश्रु का धुंधला हटा कर,
    नीलिमा को देख प्यारे।

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  5. एक शेर याद आ गया आप की कविता पर..

    जिन्दगी तेरे गम ने हमे रिश्ते नए बतलाये
    मिले जो हमे धुप में मिले छांव के ठंढे साये ......

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  6. दर्द की दास्तान है
    बहुत खूब

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  7. दिल जैसे रो रहा पर होंठ मुस्कुराते
    ग़मे-ज़िन्दगी का ज़हर पीते पीते
    अच्छी रचना के लिए बधाई सुमन जी

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  8. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया ........

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  9. वन्दना जी धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने के लिये...

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  10. बेहद सुंदर लिखती हैं आप,क्या कहूँ ,पर दर्द क्यों इतना,अक्सर मंथन करने की कोशिश करता हूँ ,फ़िर छोड़ देता हूँ ।

    जो भी हो जबर्दस्त प्रस्तुति होती है आपकी भावनाओं की ।

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  11. बहुत खूब खूबसूरत रचना बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. ...

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  12. खाबों का घरउँदा---- बहुत दर्द है इन पँक्तिओं मे। अच्छी रचना। शुभकामनायें।

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  13. गतिशील भावनाओं को स्वर ...सुंदर अभिव्यक्ति आभार जी /

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  14. गहन वेदना दिखाई दे रही है ...अच्छी प्रस्तुति

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  15. बहुत ही भाव पूर्ण ... सच में जिंदगी से अगसर वो नहीं मिलता जो इंसान चाहता है ...

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  16. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  17. दिल के अरमां आंसुओं में बह गए....

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  18. एक दर्द भरी दास्ताँ ... मर्मस्पर्शी रचना

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  19. दिल जैसे रो रहा पर होंठ मुस्कुराते
    ग़मे-ज़िन्दगी का ज़हर पीते पीते
    khoobsurat rachna

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