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रविवार, 28 अक्तूबर 2012
ऐ क्षितिज !
ऐ क्षितिज ! जब लौट जायेंगे सब पाखी अपने आशियाने की ओर और सूरज दबे पाँव धीरे धीरे रात के आगोश में चला जायेगा आधा चाँद जब दूर कहीं होगा चाँदनी के इन्तजार में मेघ हौले हौले सूरज को देंगे विदा तब तुमसे मिलने आऊंगा समा लूँगा तुमको अपने अंदर खुद तुममें समा जाऊँगा ....!! तुम्हारा सागर ... सु-मन
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
शुक्रिया यशवंत
जवाब देंहटाएंक्षितिज का लालित्य छलक रहा है आपकी पंक्तियों में... बधाई
जवाब देंहटाएंपंकज त्रिवेदी
नव्या
शुक्रिया पंकज जी .. :)
हटाएंबहुत ही सुन्दर चित्रंांकन शब्दों का ।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया प्रवीण जी ..चित्र को देख कर ही शब्द उभरे हैं ..
हटाएंबहुत ही सुन्दर ,प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
शुक्रिया रीना ..:))
हटाएंखूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रश्मि जी
हटाएंख़ूबसूरत भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सी टिप्पणी के लिए दिल से आभार
हटाएं..बहुत सुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएंअरुणा जी ..शुक्रिया ..
हटाएंलाजवाब रचना ....
जवाब देंहटाएंदेवेश जी धन्यवाद :))
हटाएंbahoot hi sundar rachana
जवाब देंहटाएंभट्टी जी ...अच्छा लगा आपका आना ..धन्यवाद
हटाएंक्षितिज के ख़ूबसूरत रंग कविता में समा गए हैं।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया मनोज जी
हटाएंबहुत जबरदस्त!!
जवाब देंहटाएंतश्तरी जी ...thnakuuuu
हटाएंअजय जी टिप्पणी के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमन आज क्षितिज सा,
जवाब देंहटाएंहुआ जान पड़ता है,
दूर से मानो सब,
समाए मुझमें,
पास आने पर,
कोई न अपना सा ।
बहुत दिनों के बाद ,हमेशा की तरह एक खूबसूरत रचना | ब्लॉग पर इतनी लम्बी अनुपस्थिति क्यों !!
Shukriya Amit..bas yun hi shabd kho gaye the..aur main bhi..... :)))
हटाएंBahut sunder lines likhi hain aapne.....
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंये "उत्तर प्रत्युत्तर दें" टैब कैसे लगाया..
Shukriya......
हटाएंsamjhi nhi tab k bare me ....kaisa tab
WAH JI
जवाब देंहटाएंShukriya Deepak ji
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंक्षितिज से गुफ्तगू
Shukriya verma ji
हटाएंबहुत खूबसूरत है क्षितिज
जवाब देंहटाएंशुक्रिया लोकेन्द्र जी ...सागर भी कम खूबसूरत नही है ...:)))
हटाएंबहुत खूबसूरत भाव ..
जवाब देंहटाएं... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
bahot khoobsurat.....
जवाब देंहटाएंबड़ी खूबसूरती से आपने सागर और आकाश की दूरियाँ मिटा दी.
जवाब देंहटाएंआभार.