शब्द, शब्दों
में तलाशते हैं मुझे
और मैं ...उन
शब्दों में तुम्हें !
रात जर्द
पत्ते सी शबनम को टटोलती
चाँद जुगनू सा
मंद मंद बुझा सा
नदी खामोश
किनारों को सहलाती हुई
तब दूर कहीं
सन्नाटे के जंगल में
सुनाई देता है
मुझे दबा सा
कुछ अनकहे अनसुने
शब्दों का शोर
धूमिल सी
अधकच्चे विचारों की पगडंडी
उस शोर की तरफ
बढ़ते अनथक दो कदम
कदम, कदमों
में थामते हैं मुझे
और मैं...उन
क़दमों में तुम्हे !
शब्द, शब्दों
में तलाशते हैं मुझे
और मैं ...उन
शब्दों में तुम्हें !!
सु-मन
(Special thanks to Manuj Ji for giving his voice to my words)
(Special thanks to Manuj Ji for giving his voice to my words)
शब्द, शब्दों में तलाशते हैं मुझे ...
जवाब देंहटाएंशब्दों का संसार ....
सही कहा सदा जी ..... शब्दों का संसार ...हर तरफ बस शब्दों का अनथक कारवां
हटाएं...
जवाब देंहटाएंशब्द पर निशब्द टिप्पणी ...शुक्रिया :)
हटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (19-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
शुक्रिया वंदना दी :))
हटाएंबहुत खूबसूरत हैं सारे शब्द..
जवाब देंहटाएंहांजी रश्मि जी ..शब्द बहुत सुंदर होते हैं ..और इन्ही शब्दों की वजह से भाव कविता बन प्रकट होते हैं .. जादूगरी शब्दों की है बस
हटाएंबहुत बढ़िया... प्रशंसनीय प्रस्तुति....:)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पल्लवी जी
हटाएंमन को कहना था शब्दों में,
जवाब देंहटाएंतुम्हें समझना था शब्दों में,
मौन खड़ा सन्ताप कर रहा,
उसको बहना था शब्दों में।
वाह बहुत सुंदर पंक्तियाँ प्रवीण जी
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति.......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुनील जी
हटाएं..बहुत सुन्दर शब्दों की माला!
जवाब देंहटाएंअरुणा जी ...शब्दों की माला में आपके शब्दों का फूल भी जुड गया ..शुक्रिया
हटाएं...बहुत सुन्दर शब्दों की माला!
जवाब देंहटाएंwell designed ur words... its nyc....
जवाब देंहटाएंthnx Himanshu Mishra
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
शुक्रिया महेंद्र जी
हटाएंशब्द और स्वर दोनों प्रभावी लगे ......
जवाब देंहटाएंमोनिका जी ...शुक्रिया
हटाएंधन्यवाद रजनीश जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति कलम आज भी उन्हीं की जय बोलेगी ...... आप भी जाने @ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
जवाब देंहटाएंअच्छे शब्दों को भावपूर्ण-गहन आवाज़ की अभिव्यक्ति मिलती है तो लगता है, सुनते सुनते कहीं हम अपनेआप में ही खो जाएँ.. और यहीं से शुरू होती है आत्म-संवाद की प्रक्रिया.... सुमन जी और आवाज़ के धनी मनुज जी को अभिनन्दन.... - पंकज त्रिवेदी
जवाब देंहटाएंबिखरे जज्बातों को समेट कर बहुत ही खुबसूरती से सजा दिया..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशब्दों के सुंदर सयोजन से अदभुत कविता का सृजन बहुत खूबसूरत है.
जवाब देंहटाएंahem ahem
हटाएंawsm awsm
जवाब देंहटाएंawsm awsm
जवाब देंहटाएंधव्दों का अदभुद संयोजन |सुन्दर भाव |
जवाब देंहटाएंआशा
nice madam
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंVry nice...:)
जवाब देंहटाएंVry nice...wow <3
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