प्रेम
इतना विशाल होता है कि जिसको परिभाषित करना नामुमकिन है बिलकुल वैसे....जैसे इस
असीमित आकाश को सीमा देना | ईश्वर की सबसे सुंदर कृति इन्सान और इंसान में धड़कता
उसका कोमल ह्रदय ..उसमें बहता भावनाओं का दरिया ....और उन भावनाओं से उपजती प्रेम
की अभिव्यक्ति......
प्रेम
(अपरिभाषित)
सोचा
लिखूं... मैं भी
प्रेम
की परिभाषा
परिभाषित
कर दूँ प्रेम
आज
इस प्रेम दिवस पर
पर
...
मेरे
लिए
नहीं
हैं प्रेम
मात्र
एक दिन की सौगात
न
ही
अभिव्यक्ति
एक दिन की
मेरे
लिए
हर
पल है प्रेम
जिसमे
सुनती हूँ
मौन
तुम्हारा
देखती
हूँ अपनी आँखों में
तुम्हारे
कुछ बुने सपने
लफ़्ज़ों
को देती हूँ
आकार
तुम्हारा
सृजित
करती हूँ
अपने
भीतर
एक
नई कोंपल
तुम्हारे
नेह की
और
‘मन’
के दर्पण में
देखती
हूँ
हर
पल खिलता
एक
‘सु-मन’ !!
सु-मन
ये सु-मन खिला रहे .....:))
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नज्म .....!!
happy valentine day ...!!
बहुत बहुत शुक्रिया हीर जी ...same to U :)
हटाएंसुंदर प्रस्तुति प्रेम किसी परिभाषा किसी वक्त का मोहताज नही बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhivyakti ...
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen .
Shukriya anupama ji
हटाएंप्रेम को लेकर एक सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंShukriya subhash ji
हटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंDhanyvaad :)
हटाएंअनुपम भाव संयोजन प्रेम है ही अपने आप एक ऐसा अपरिभाषित शब्द जिसे कभी शब्दों में परिभाषित किया ही नहीं जा सकता। क्यूंकि प्यार तो वो जज़्बा है दिल का जिसे सिर्फ रूह से महसूस किया जा सकता है। Wish you a very Happy valentine's day dear... :)
जवाब देंहटाएंWell said ...same to u :)
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया ||
गमन अनुगमन मन सुमन, मनसाता मनसेधु |
सुम-सुमनामुख सुमिरते, मिले पुन्य मकु मेधु ||
Waah..waah ..bahut khoob
हटाएंbehatareen prasruti,
जवाब देंहटाएंPasand karne ke liye shukriya :)
हटाएंलाज़वाब...बहूत ही उत्कृष्ट और प्रेरक अभिव्यक्ति..आभार
जवाब देंहटाएंShukriya bhaskar ji ..
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
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कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Dil se aabhar shastri ji.. Aap jaise blogger ..is blog jagat ka aham hissa hain ..aur aapka yogdan stahniy hai..
हटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
Thnx yashwant :)
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति सुमनजी | बधाई |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंऐसे ही खिलता रहे...महकता रहे ये प्रेम.....
~सादर!!!
Dua ke liye shukriya :)
हटाएंसुंदर रचना |
जवाब देंहटाएं:)))
हटाएंबहुत सुन्दर रचना..प्रेम परिभाषित बना रहे।
जवाब देंहटाएंHanji praveen ji... :))) shukriya
हटाएंयह मन बना रहे ...
जवाब देंहटाएंAur suman khilta rahe :))
हटाएंShukriya.... :)
जवाब देंहटाएं..प्रेम की परिभाषा लिखने बैठों तो समय का और शब्दों का बंधन त्यागना ही पडेगा!...बहुत गहन विषय है यह!...बहुत सुन्दर कृति,बधाई!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा अरुणा जी ...प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो .. :)
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण सुन्दर शब्द चयन,आभार है आपका
जवाब देंहटाएंआज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है
ये कैसी मोहब्बत है