कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
बहुत ही भावपूर्ण कविता आभार.
मर्म सप्रशी रचना सादर
bahut umda- bhavpurn
BEHAD GAHAN AUR UMDA
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!--आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल गुरूवार (07-03-2013) के “कम्प्यूटर आज बीमार हो गया” (चर्चा मंच-1176) पर भी होगी!सूचनार्थ.. सादर!
बढ़िया है आदरेया-बधाई |
रात जगना, स्वप्न को दिवस से मिलाने की उहापोह है।
रात की गहराई में खोयी सुन्दर रचना। बधाई।।
ये रात लेकर आएगी एक नयी सुबह...बस आँख के मुंदते ही...अनु
बहुत खूब !आपकी कविता "रुखसत होती जिंदगी" बहुत पसंद आई मुझे ,इतनी बेहतरीन कविता के लिए बधाई!!Matrimonial
बहुत ही भावपूर्ण कविता आभार.
जवाब देंहटाएंमर्म सप्रशी रचना
जवाब देंहटाएंसादर
bahut umda- bhavpurn
जवाब देंहटाएंBEHAD GAHAN AUR UMDA
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल गुरूवार (07-03-2013) के “कम्प्यूटर आज बीमार हो गया” (चर्चा मंच-1176) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!
बढ़िया है आदरेया-
जवाब देंहटाएंबधाई |
रात जगना, स्वप्न को दिवस से मिलाने की उहापोह है।
जवाब देंहटाएंरात की गहराई में खोयी सुन्दर रचना। बधाई।।
जवाब देंहटाएंये रात लेकर आएगी एक नयी सुबह...बस आँख के मुंदते ही...
जवाब देंहटाएंअनु
बहुत खूब !आपकी कविता "रुखसत होती जिंदगी" बहुत पसंद आई मुझे ,इतनी बेहतरीन कविता के लिए बधाई!!
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