ऐ मेरे दोस्त !
सुनो ना....
क्यूँ रहते हो
क्यूँ रहते हो
अब मुझसे तुम
यूँ खफा खफा
जानती हूँ कुछ रोज हुए
नहीं ढाल पाई मैं तुमको
एक नज़्म में
न ही बन पाई मुझसे
कोई कविता ....
ख़याल थक कर
गुम हो गए हैं जैसे
जेहन के किसी कोने में
छिप गए हैं मिलकर सभी ...
जानते हो-
कितना तन्हा होती हूँ
उस वक़्त तुम्हारे बिना
जब डायरी के सफ़ेद पन्नों पर
नहीं होती तुम्हारी आहट
और कलम की बेचैनी
टीस बन चुभती है भीतर कहीं....
बसंत खिल चूका है अब
मौसम के केनवस पर
उभरते हैं रोज नए शेड
उकेरना चाहती हूँ उनको
तुम्हारे संग
इन सफ़ेद कागजों को
चाहती हूँ रंगना
पर .. जाने कब तक
यूँ रहेगा इन पन्नों में
पतझड़ का मौसम
कब तुम उतरोगे रूह में मेरी
यूँ खफा खफा
जानती हूँ कुछ रोज हुए
नहीं ढाल पाई मैं तुमको
एक नज़्म में
न ही बन पाई मुझसे
कोई कविता ....
ख़याल थक कर
गुम हो गए हैं जैसे
जेहन के किसी कोने में
छिप गए हैं मिलकर सभी ...
जानते हो-
कितना तन्हा होती हूँ
उस वक़्त तुम्हारे बिना
जब डायरी के सफ़ेद पन्नों पर
नहीं होती तुम्हारी आहट
और कलम की बेचैनी
टीस बन चुभती है भीतर कहीं....
बसंत खिल चूका है अब
मौसम के केनवस पर
उभरते हैं रोज नए शेड
उकेरना चाहती हूँ उनको
तुम्हारे संग
इन सफ़ेद कागजों को
चाहती हूँ रंगना
पर .. जाने कब तक
यूँ रहेगा इन पन्नों में
पतझड़ का मौसम
कब तुम उतरोगे रूह में मेरी
जाने कब
लफ्ज़ों की बरसात होगी ।।
सु..मन
वाह!!
जवाब देंहटाएंजाने कब लफ्जों की बरसात होगी...
बहुत भावपूर्ण!!
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
बहुत सुंदर सुमनजी!भाव,भावनाएं,उन्हे कागज पर उतारा जाना और वे शब्द जो उन्हे पहनाए गए-सभी कुछ!
जवाब देंहटाएंहोगी ...जल्दी ही लफ्जों की बरसात होगी ....
जवाब देंहटाएंलफ़जों के बरसात की ख्वाहिश तो हमेशा ही होती है...बहुत खूब लिखा
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव संयोजन...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (26-05-2013) के "आम फलों का राजा होता : चर्चामंच 1256"
में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
लफ़्ज़ों की बरसात तो अब भी खूब हुई .....सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबिन शब्दों के व्यक्त कहाँ हम।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंलफ़्ज़ों की तो इस रिमझिम बरसात ने ही तन मन भिगो दिया ! जब घनघोर वृष्टि होगी तब तो साथ ही बहा ले जायेगी ! बहुत ही सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंजज़्बात को शब्दों में बहुत बढिया उकेरा है. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंप्रेम के उजालेपन को जीवन में बिखेरने का गजब का अहसास
जवाब देंहटाएंसुंदर अनुभूति
बढ़िया रचना
बधाई
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
Speachless!
जवाब देंहटाएंNih shabd krne wali rchna.
जवाब देंहटाएंnice ma'am
जवाब देंहटाएंnice ma'am
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.............!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक का प्रसारण सोमवार (03.06.2013)को ब्लॉग प्रसारण पर किया जायेगा. कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंJaane kab labjon ki barsat hogi..
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar bhaaw..
Humare blog par aap saadar amantrit hai.
http://sunnymca.wordpress.com