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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013
बदला सा सब ..
ना फिज़ा बदली ना शहर बदला इस जगह से मेरा ठिकाना बदला दो घड़ी रुक ऐ वक्त तू मेरे लिए मेरे हिस्से का तेरा पैमाना बदला शब ना हो उदास इस कदर तन्हा वही है जाम बस मयखाना बदला लिखने का सबब नहीं कोई 'मन' मेरे लफ्ज़ो अब आशियाना बदला !! सु..मन
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-10-2013) "ईदुलजुहा बहुत बहुत शुभकामनाएँ" (चर्चा मंचःअंक-1400) पर भी होगी! -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Bahut Umda...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया तश्तरी जी
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-10-2013) "ईदुलजुहा बहुत बहुत शुभकामनाएँ" (चर्चा मंचःअंक-1400) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री जी
हटाएंबहुत सुन्दर :-)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रीना :)
हटाएंबहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता जी
हटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका
हटाएंUmda sher hain sabhi ...
जवाब देंहटाएंपसंद करने के लिए शुक्रिया दिगम्बर जी
हटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंइस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-17/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -26 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....
मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद
हटाएंwahh sundar rachna ... badhayi :)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंlatest post महिषासुर बध (भाग २ )
धन्यवाद
हटाएंवाह ! हर शेर लाजवाब है ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया साधना जी
हटाएंवाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी आभार
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंpyari rachna Suman
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