@सर्वाधिकार सुरक्षित

सर्वाधिकार सुरक्षित @इस ब्लॉग पर प्रकाशित हर रचना के अधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं |

मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013

बदला सा सब ..












ना फिज़ा बदली ना शहर बदला 
इस जगह से मेरा ठिकाना बदला 

दो घड़ी रुक ऐ वक्त तू मेरे लिए 
मेरे हिस्से का तेरा पैमाना बदला 

शब ना हो उदास इस कदर तन्हा 
वही है जाम बस मयखाना बदला 

लिखने का सबब नहीं कोई 'मन' 
मेरे लफ्ज़ो अब आशियाना बदला !!



सु..मन 



29 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-10-2013) "ईदुलजुहा बहुत बहुत शुभकामनाएँ" (चर्चा मंचःअंक-1400) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. इस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-17/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -26 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ! हर शेर लाजवाब है ! बहुत सुंदर !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......

    जवाब देंहटाएं

www.hamarivani.com
CG Blog www.blogvarta.com blogavli
CG Blog iBlogger