बाबुल !
स्मृतियों का आकाश
आज है भरा भरा
उड़ रहे तुम्हारे नेह के
परिंदे
मैं जमीन पर खड़ी
देख रही तुम्हारी काल्पनिक
छवि
तुम हो
दूर ..बहुत दूर
पर तुम्हारा एहसास
आज भी जीवंत है
मेरी रूह में
देता है मुझे शुभ आशीष
जीवन के हर पथ पर
चलता है मुझ संग हर कदम
तुम हो और रहोगे
मेरे साथ अंतिम क्षण तक
मेरी रगों में दौड़ोगे लहू
बन कर
देखोगे मेरी आँखों से
अपना मनचाहा आकाश
भरोगे उड़ान सपनों की
थाम कर मेरी बांह
उड़ा ले जाओगे मुझे
संग अपने
दूर क्षितिज़ के उस पार
दोगे मेरी कल्पनाओं को पंख
!!
सु-मन
(आज बाबु जी को गुजरे 3
साल हो गए | कमी तो हर पल सालती है मन को पर उनका एहसास हमेशा है और रहेगा)
अत्यंत हृदयस्पर्शी ! सादर नमन आपके बाबूजी को !
जवाब देंहटाएंबाबू जी को नमन |
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ कि पिछले एक साल से मैं खुद इसी कमी से लड़ रहा हूँ ... ६ अगस्त ही वो काला दिन था :(
आत्मिक मर्मस्पर्शी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंछूटते नहीं है वो पर हम साथ नहीं चल पाते
जवाब देंहटाएंभावमयि अभिव्यक्ति
भावनाप्रधान प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंभावनाप्रधान प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंभावनाप्रधान प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबाबू जी का शरीर चला गया । पर वो आस पास में ही रहते हैं । अहसास होता रहता है ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6-8-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2059 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बाबुल !
जवाब देंहटाएंस्मृतियों का आकाश
आज है भरा भरा
उड़ रहे तुम्हारे नेह के परिंदे
मैं जमीन पर खड़ी
बहुत सुन्दर भाव
http://savanxxx.blogspot.in
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, १०१ साल का हुआ ट्रैफिक सिग्नल - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण...सादर नमन
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति... दिल को छू गई
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