कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
बहुत सुन्दर शब्द !!
मखमली कम्बल सी कविता :)
वाह, यह आपकी बचाई धूप थोडी गरमाहट हमें भी दे गई ।
कमाल की पंक्तियाँ
बहुत खूब
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 13 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह्ह्ह्ह्ह बहुत खूब !
बहुत सुन्दर शब्द !!
जवाब देंहटाएंमखमली कम्बल सी कविता :)
जवाब देंहटाएंवाह, यह आपकी बचाई धूप थोडी गरमाहट हमें भी दे गई ।
जवाब देंहटाएंकमाल की पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 13 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह्ह्ह बहुत खूब !
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