मेरी लूटी आबरू पर ये दंगल
छोड़ ये जहाँ अब ख़ामोश हूँ मैं
और तुम -
मेरे लुटे ज़िस्म पर ढूँढ रहे
हैवानियत की निशानी
बे-मेल दलीलों से
मेरे अनढके अस्तित्व पर
ओढ़ा रहे मेहरबानी का कफ़न
मैं अजीवित हूँ अब -2
शुक्र है उस खुदा का
ऐ पुरुष !
तेरा पुरुषार्थ तुझे जीवित रखने में समर्थ हो !!
सु-मन
#हाथरस ( damn on such investigation)
अत्यंत भावपूर्ण पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 5 अक्टूबर 2020) को 'हवा बहे तो महक साथ चले' (चर्चा अंक - 3845) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सुन्दर
जवाब देंहटाएंमार्मिक
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील हृदय की कारुणिक अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंसाधुवाद। ।।।।
हृदय स्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंसभी पोस्ट अद्भुत हैं। आपने एक बहुत ही जानकारीपूर्ण लेख साझा किया है, यह मुझे बहुत मदद करेगा, मुझे उम्मीद नहीं है कि हमें विश्वास है कि आप भविष्य में इसी तरह के पोस्ट रखेंगे। उपयोगी पोस्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और इसे बनाए रखें। राम मनोहर लोहिया
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना
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