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रविवार, 3 नवंबर 2013

जल रहे हैं दीपक













जल रहे हैं दीपक 

सबके आँगन 
चल रहे हैं 
पटाखे फुलझडियाँ 
सज रहे हैं द्वार 
लक्ष्मी के स्वागत में ...

ये देखते हुए 

जलाया है किसी ने 
पिछले बरस खरीदा 
अधटूटा सा दीपक 
घर के द्वार पर 
तुम्हारे लिए .....

रखी है उसने 

अपने हिस्से की 
एक पूरी कुछ हलवा 
मिला है जो उसको 
आज सुबह 
एक मंदिर के बाहर 
भीख के कटोरे में .....

सोच में हूँ 

क्या आओगी तुम 
उस द्वार 
या जलेगा वो दीपक 
फिर तन्हा 
यूँ ही अगले बरस...... !!



सु..मन 

(हे माँ ! सभी की झोली खुशियों से भर दो ...सभी को दीपावली की मंगलकामनाएं ...) 

11 टिप्‍पणियां:

  1. दीप पर्व आपको सपरिवार शुभ और मंगलमय हो!

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. भावपूर्ण ... प्रेम के दीपक जल रहे हों तो आस जरूर पूरी होती है ...

    जवाब देंहटाएं
  3. Ek Achhi Padya Rachna Ka Jikra Aapke Dwara. Is Tarah Ki Rachnayen Badi Hi Rochak Hoti Hai. Padhe Low Poems Aur प्यार की कहानियाँ

    Thank You For Sharing.

    जवाब देंहटाएं
  4. सच्चे मन से की गयी प्रार्थना ज़रूर सुनी जाती है .... शायद उसकी भी सुनी जाये जिसने बिना किसी स्वार्थ के स्वागत किया है ...भले ही टूटे दीपक में ज्योति जलायी हो ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  6. sundar.....yeh mangal parv aapke jevan mein khushiyon ka ujaas laye .....sada..!!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति , बधाई आपको ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी.बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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