वो लड़की
रोटी सेंकते हुए
नहीं मिटने देना चाहती
अपने हाथों में लगी
नेलपॉलिश
चिमटे से पकड़ कर
गुब्बारे सी फूलती रोटी
सहेज कर रख लेती
कैसरोल में
नहीं माँजना चाहती
सिंक में पड़े जूठे बर्तन
गुलाबी रंगे नाखूनों से
नहीं उतरने देना चाहती
सुर्ख रंगत
.
.
पर कुछ ही देर बाद
अपनी इस चाहत को
दरकिनार कर
बेपरवाह हो
माँजने लगती है
बर्तन का ढेर
ये समझकर कि
नहीं रहती कोई भी चीज
हमेशा बरकरार
फूली रोटी के पिचकने की तरह
वो लड़की बेलन सी घुमावदार है !!
सु-मन
पर देखना वो लड़की काम के बाद फिर लगा लेगी नई नैलपोलिश नाखूनों पर पुरानी उतार कर. :)
जवाब देंहटाएंहांजी दी ..लगाएगी किसी और रंग वाला :)))
हटाएंकुछ लड़कियाँ
जवाब देंहटाएंनेल पालिश
लगाती ही नहीं हैं
बस देखतीं हैं
लड़्कियों के
सुर्ख नाखून
और सोच
लेती हैं
कईरंगों
की नेल पालिश
बरतन माँजते माँजते ।
लड़की जानती है कैसे हर काम समय अनुसार किया जाता है ... उसके हुनर को सब जानते हैं ...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 14 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवो लड़की बावरी हो गयी है... :P
जवाब देंहटाएंउम्दा लेखन ... शानदार... हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंगृह कार्य में दक्ष , सुशिक्षित सुशील लड़की !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता
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