@सर्वाधिकार सुरक्षित

सर्वाधिकार सुरक्षित @इस ब्लॉग पर प्रकाशित हर रचना के अधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं |

शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

उपहार















मन ! भूल जाना तुम 
इस एक दिन
सुख दुख का हिसाब
और जी भर जीना सकून

साल के बाकी दिनों को
मिट्टी में मिला कर
बीज देना नव वर्ष का अंकुर

भ्रम के दरवाजे पर
लगा कर निश्चय का ताला
प्रतिपादित करना नया स्वरूप

माँग लेना दुआ में
अपने हिस्से की कुछ खुशी
त्याग देना निराशा का भाव 

मन! भूल जाना तुम
सब आधा अधूरा
हर लफ्ज़ को पूरा बनाकर
दे देना मुझे जन्मदिन का उपहार । 


सु-मन 

4 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०१-१२ -२०१९ ) को "जानवर तो मूक होता है" (चर्चा अंक ३५३६) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं

www.hamarivani.com
CG Blog www.blogvarta.com blogavli
CG Blog iBlogger