बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी लेखक मंच पर आप को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपके लिए यह हिंदी लेखक मंच तैयार है। हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपका योगदान हमारे लिए "अमोल" होगा |
दोस्तो की भीड़ मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे अपनो की भीड़ मे भी एक अपने की प्यास है मुझे, छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे, अब डूब रहा हूँ तो एक साहिल की तलाश है मुझे, लडना और जीतना चाहता हूँ इन अन्धेरो के गमो से, अब तो बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे, अपनी हर ज़िन्दगी में तंग आ चुका हूँ इस बेवक्त की मौत से मै, अब अपनी इस ज़िन्दगी में एक हसीन ज़िन्द्गी की तलाश है मुझे, क्या पागल और दीवाना हूँ मै, सब यही कह कर सताते है मुझे, अब तो बस जो मुझे समझ सके, उस दोस्त की तलाश है मुझे !!
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंपर ये पढ़ा हुआ लग रहा है ...
शुक्रिया अंजू जी , आप ने fb पर पढ़ा होगा मेरी वाल पे ।
हटाएंकुछ सांसें ही रह जाती हैं अगर सलीब पे टग जाओ तो ...
जवाब देंहटाएंगहरा ख्याल ...
जी दिगंबर जी , होता तो यही है ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसांसें जब टंगी हों सलीब पर...
जवाब देंहटाएंफिर जिंदगी.....???
बहुत खूब...
शुक्रिया पूनम जी
हटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंआभार रविकर जी
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी लेखक मंच पर आप को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपके लिए यह हिंदी लेखक मंच तैयार है। हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपका योगदान हमारे लिए "अमोल" होगा |
जवाब देंहटाएंदोस्तो की भीड़ मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
अपनो की भीड़ मे भी एक अपने की प्यास है मुझे,
छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे,
अब डूब रहा हूँ तो एक साहिल की तलाश है मुझे,
लडना और जीतना चाहता हूँ इन अन्धेरो के गमो से,
अब तो बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे,
अपनी हर ज़िन्दगी में तंग आ चुका हूँ इस बेवक्त की मौत से मै,
अब अपनी इस ज़िन्दगी में एक हसीन ज़िन्द्गी की तलाश है मुझे,
क्या पागल और दीवाना हूँ मै, सब यही कह कर सताते है मुझे,
अब तो बस जो मुझे समझ सके, उस दोस्त की तलाश है मुझे !!
ब्लॉग जगत में आपकी पहल के लिए शुभकामनाएं |
हटाएंyu to waqt ki bisaat pr aksr hi kahania kisse mil jaya krte h,
हटाएंpr aap jaiso k chnd nishan hi dur dil tak jaya krte h.....:)
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजेन्द्र जी
हटाएंTukdon mein zindagi....bahut khoob
जवाब देंहटाएंहाँजी प्रकाश जी ... हम अक्सर टुकड़ों में ही जीते हैं , पूरी जिन्दगी मिलती कहाँ है जीने के लिए |
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन पैटर्न टैंकों को बर्बाद करने वाले परमवीर को सलाम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका |
हटाएंकई-कई हिस्सों में जी जाती है जिन्दगी ......हाँ ऐसा ही होता है ....................
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंकितने तकलीफदेह होते हैं वे आखरी पल .....जब मौत भी मूंह चिढ़ाती है ...
जवाब देंहटाएंगहरी बात..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंVery nice!
जवाब देंहटाएंvinnie
बहुत गहन और सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएं☆★☆★☆
ज़िंदगी का एक हिस्सा
ले रहा है आख़िरी सांसें...
मार्मिक कविता है आदरणीया सुमन जी
प्रभावशाली प्रस्तुति !
सुंदर रचना के लिए साधुवाद
आपकी लेखनी से सदैव सुंदर श्रेष्ठ सार्थक सृजन हो , यही कामना है...
मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
प्रशंसनीय रचना - बधाई
जवाब देंहटाएंशब्दों की मुस्कुराहट पर
...संग्रहनीय लेखन बड़ी शख्सियत -- प्रवीण पाण्डेय जी