हाँ मैं नास्तिक हूँ
नहीं बजाती
रोज़ मंदिरों की घंटियाँ
ना ही जलाती हूँ
आस का दीपक
नहीं देती
ईश्वर को दुखों की दुहाई
ना ही करती हूँ
क्षणिक सुखों की कामना
नहीं चढ़ाती
जल फूल फल मेवा
ना ही जपती हूँ
आस्था के मनके की माला |
हाँ, मैं दूर बैठ
मांगती हूँ
मांगती हूँ
अपने कर्मों को भोगने की शक्ति
जीए जा सकने वाली सहनशीलता
अपने कर्तव्यों के निर्वहन की क्षमता
सुख दुख को आत्मसात करने का संबल
मृत्यु का अभिनन्दन करने का साहस |
हाँ मैं नास्तिक हूँ
हाँ मैं नास्तिक हूँ !!
सु-मन
bahut sundar likha hai, Suman!
जवाब देंहटाएंAbhinandan!
Beautiful !
जवाब देंहटाएंNice one Suman.....Nastik hi actually astik hai it seems!!
जवाब देंहटाएंअपने कर्मों पर आस्था ही है सच्ची आस्तिकता...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक रचना ! आप जो कुछ दूर बैठ कर माँगती हैं वही श्रेष्ठ है और तथाकथित आस्तिकता के स्वांग से बहुत ऊपर है ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंहम तो कभी आस्तिक कभी नास्तिक हो जाते हैं ।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (09-05-2015) को "चहकी कोयल बाग में" {चर्चा अंक - 1970} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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अपने मन और कर्म पर भरोसा रखना ही सच्ची पूजा है । सुन्दर काव्य लिखा है सुमन जी आपने
जवाब देंहटाएंसुन्दर और विचारणीय रचना ..सु-मन जी ..कहते हैं की नास्तिक तो कोई हो ही नहीं सकता जितना ही आप किसी से वैर करो उतना ही वो याद आता है ..
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंनास्तिक-आस्तिक सोच भर है ...
आप ईश्वर के न होने की बात करते हो तो अपने आप ही ईश्वर का ज़िक्र होता है । नास्तिक तो दरअसल सबसे बड़ा आस्तिक ही होता है ।
जवाब देंहटाएंआप वास्तव में आस्तिक हैं ,कर्मकांड के दिखावा से दूर एकांत में ही ईश्वर और अपने कर्मफल पर मंन स्थिर किया जा सकता है l माला जपना, .मंदिर जाना आस्तिकता का प्राण नहीं है l
जवाब देंहटाएंजो नास्तिक है वही सबसे बड़ा आस्तिक है...
जवाब देंहटाएंनास्तिक ही असली मानव है ईशवर तो मूर्खो का स्वामी है
जवाब देंहटाएंआपने बिलकुल सही बात कही है,रनधीर सिंह जी।
हटाएंसुंदर/प्रेरक ।
जवाब देंहटाएंsundar vichar .
जवाब देंहटाएंsarthak rachna....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंनास्तिक होते हुए भी आस्था में विश्वास ... भावों का आवेग ...
जवाब देंहटाएंMera nasti WhatsApp per group h koi join hoga chata h to join massage me 7413937318 pre world ko nastik benaye GE
जवाब देंहटाएंमैम मैं आप की इस पोस्ट से आप को अपना गुरु मान लिया वाकई में ऐसी कविता कभी नही सुनी थी
जवाब देंहटाएंMe mandir me us patthar ke samne apna sar jhukakar apne aapko sharminda karna nahi chahta kyoki mata-pita hi mere bhagbaan hai .9575809127
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