घर के आँगन में
नहीं खिलते अब
कोई भी फूल
न ही लगते हैं
कोई बेल बूटे
हवाएं भी उधर से होकर
गुजर जाती हैं
उस मोड़ से मुड़ कर
चली जाती हैं अब तो
पसरी रहती है उमस सी
हर वक़्त-हर घड़ी
जो लील लेती है
बची नमी को भी
वो उधर उस कोने में
हुआ करता था इक पेड़
रहता था जिसमें
एक जोड़ा पंछी का
गुनगुनाता था मेरा आंगन
उनकी प्यार की सरगम से
बिखरी रहती थी ज्यूँ
एक महक सी चहुँ ओर
अब तो रह गया है
सूखा सा तना ही उसका
नहीं उगते हैं जिस पर
अब कोई भी पत्ते
टहनियां भी कभी की
गिर चुकी हैं टूट के
अधटूटे पोखर के
अधबुने से आशियाने में
वो रहती है अब तन्हा
निहारा करती है राह
अपने बिछड़े साथी की
जो आने का बहलावा देकर
न जाने कहाँ उड़ गया
आँगन में अब
नहीं गूंजती सगरम
बस सुनाई देती है
उसकी आहें
कैसे समझाउं मैं
उस नादाँ जान को
जाने वाला नहीं आता
वापिस लौट के
उसके आंसुओं से
हो गई है रुआंसी सी
अब तो
क्यारी की मिट्टी भी
सूखा सा तना ही उसका
नहीं उगते हैं जिस पर
अब कोई भी पत्ते
टहनियां भी कभी की
गिर चुकी हैं टूट के
अधटूटे पोखर के
अधबुने से आशियाने में
वो रहती है अब तन्हा
निहारा करती है राह
अपने बिछड़े साथी की
जो आने का बहलावा देकर
न जाने कहाँ उड़ गया
आँगन में अब
नहीं गूंजती सगरम
बस सुनाई देती है
उसकी आहें
कैसे समझाउं मैं
उस नादाँ जान को
जाने वाला नहीं आता
वापिस लौट के
उसके आंसुओं से
हो गई है रुआंसी सी
अब तो
क्यारी की मिट्टी भी
तब से...
घर के आँगन में
नहीं खिलते हैं अब
कोई भी फूल
न ही लगते हैं
कोई बेल बूटे.......!!
सु-मन
घर के आँगन में
नहीं खिलते हैं अब
कोई भी फूल
न ही लगते हैं
कोई बेल बूटे.......!!
सु-मन
वाह सुमन जी वाह
जवाब देंहटाएंअरे वाह सुमन - बहुत खूब - बहुत सफलता से बात कह गयी - शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
ओह! भावपूर्ण...बहुत खूब अभिव्यक्त किया...
जवाब देंहटाएंएहसास को जीवंत किया है
जवाब देंहटाएंवाह ! सुंदर रचना बेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआने का बहलाव देकर मन को भी समझाना पड़ता है . सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंमन आँगन की नीरवता को कहती सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर......बहुत ही सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना , क्या कमाल का लिखा है आपने , आभार। आने वाले वर्ष के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंintzar bahut hi jaanleva hota hai. sunder shabdo se sajaya hai ehsason ko.
जवाब देंहटाएंकिसी मासूम के मिटने का असर गहरा अवसाद दे जाता है ... उदासी लिए एहसास लिए है आपकी रचना आज ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की मंगलकामनाएं ...
बहुत ही भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंउसके आंसुओं से हो गयी
जवाब देंहटाएंरुआंसी अब तो क्यारी की मिटटी भी....
बहुत भावमयी रचना...
सादर बधाई...
bhawmay prastuti .....
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुंदर रचना ... नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएं"उसके आंसुओं से हो गयी
जवाब देंहटाएंरुआंसी अब तो क्यारी की मिटटी भी", behtareen rachna sumanji...
Aaz kal kuch likh nahi rahi ho...niyamit likhiye.
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंइस होली आपका ब्लोग भी चला रंगने
जवाब देंहटाएंदेखिये ना कैसे कैसे रंग लगा भरने ………
कहाँ यदि जानना है तो यहाँ आइये ……http://redrose-vandana.blogspot.com
ये मायूसियाँ, ये आँसू बस बीती बातें हैं
जवाब देंहटाएंअब तो होली है, रंग हैं, प्यार भरी बातें हैं!
प्रेम के वियोग पक्ष की सुंदर अभिव्यक्ति!
BEAUTIFUL POST.EXCELLENT EXPRESSION OF EMOTIONS.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन, आभार.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग " meri kavitayen" की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.
gajab ki rachana jitani tareef karu kam hogi...abhar suman ji.
जवाब देंहटाएं‘एक खालीपन मगर कितने सटीक शब्दों से भरा हुआ।’ बहुत अच्छी कविता के लिए बधाई। आपके ब्लाग से होकर गुज़रा, बहुत कम शब्दों मे बहुत सारा व्यक्त कर देती हैं आप । अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंBahut bahut shukriya Dinesh ji
हटाएंBahut bahut shukriya Dinesh ji
हटाएंBahut bahut shukriya Dinesh ji
हटाएंनिशब्द हूँ। आपकी रचना पढने के बाद एक कंपकंपी सी दौड़ गयी ह्रदय में। बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंati khoobsurat......bas yhi man me ayya...
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