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रविवार, 16 जनवरी 2011

मेरी कौन हो तुम !........ब्लॉग की पहली सालगिरह

आज बावरा मन को शूरू किए एक वर्ष हो गया और इस समय में बहुत कुछ पाया मैनें आप सभी से.....स्नेह , सुझाव और सबसे बड़ी बात आप सभी का साथ । कवि या लेखक का लिखना तब सार्थक हो जाता है जब उसकी लेखनी से उसके दिल की बात दूसरे तक पहुँच जाती है।आज ब्लॉग की पहली सालगिरह पर ये कविता आप सभी के सामने रख रही हूँ जो मेरे दिल बहुत करीब है.......



मेरी कौन हो तुम !


पूछती हो मुझसे
मेरी कौन हो तुम !



         मैं पथिक तुम राह
         मैं तरु तुम छाँव
         मैं रेत तुम किनारा
         मैं बाती तुम उजियारा


पूछती हो मुझसे मेरी..............


         मैं गीत तुम सरगम
         मैं प्रीत तुम हमदम
         मैं पंछी तुम गगन
         मैं सुमन तुम चमन


पूछती हो मुझसे मेरी..............


         मैं बादल तुम बारिश
         मैं वक्त तुम तारिख
         मैं साहिल तुम मौज
         मैं यात्रा तुम खोज

पूछती हो मुझसे मेरी...............


         मैं मन तुम विचार
         मैं शब्द तुम आकार
         मैं कृत्य तुम मान
         मैं शरीर तुम प्राण


पूछती हो मुझसे
मेरी कौन हो तुम
         मेरी कौन हो तुम...........
         मेरी कौन हो तुम...........!!


                                                                             
                                                                                  सुमन मीत
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