क्यों ?
क्यों न सोचना चाहते हुए भी
सोचते जाते हैं लोग
दुनियां की भीड़ में
तन्हाइयों में डूब जाते हैं लोग
क्यों न मुस्कराना चाहते हुए भी
छलकती आँखों से मुस्कराते हैं लोग
गमों को छुपाकर
अश्कों को पीये जाते हैं लोग
क्यों न जीने की चाह होकर भी
जिन्दगी जीये जाते हैं लोग
सफर की मंजिल पर
तन्हा रह जाते हैं लोग............?