मैंने दीया जला कर
कर दी है रोशनी ...
तुम प्रदीप्त बन
हर लो, मेरा सारा अविश्वास |
मेरे आराध्य !
आस के दीये में
बची रहे नमी सुबह तलक !!
कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
आज बहुत दिन ऑफिस जाना हुआ |
राम नवमी की शुभकामनाएँ |