चींटियों सी रेंगती है
सीधी लाइन में गाड़ियाँ
मशीन से दौड़े जाते हैं लोग
रहता है मोबाईल
24*7 ऑलवेज़ ऑन
सजती हैं महफ़िलें
हर रात ऑन टाईम
खाली घर को ताकती हैं
एसी में बंद खिड़कियाँ
खुला आकाश रखता है
सबको पूरा दिन हॉट
पार्सल में लिपट कर
खाना बजाता है डोर बैल
शाम ढले टेरिस पर
झूला झूलते हैं कुछ बेजान पौधे
इक शहर का व्यस्त जीवन
यूँ हॉट स्पॉट बन जाता है !!
सु-मन
bahut khoob ... yahi hai shahar ka hot spot ...
जवाब देंहटाएंमहानगरों की ज़िंदगी का पूरा खाका खींच दिया है आपने इस रचना में ! सजीव चित्रण !
जवाब देंहटाएंभाग दौड़ की शहरी जिन्दगी की सच्चाई को बयान करती खूबसूरत रचना ।
जवाब देंहटाएंभाग दौड़ की शहरी जिन्दगी की सच्चाई को बयान करती खूबसूरत रचना ।
जवाब देंहटाएंभाग दौड़ की शहरी जिन्दगी की सच्चाई को बयान करती खूबसूरत रचना ।
जवाब देंहटाएंआज के महानगरों की ज़िंदगी का सटीक चित्र...
जवाब देंहटाएंमहानगरों की जिंदगी का यही सच है. हम सब बस झूला झूलते रहते हैं.
जवाब देंहटाएंyahi jeevan hai ....ab yahi achha bhi lagta hai ....man ko bheetr udas bhi karta hai ....
जवाब देंहटाएंAwesome lines Suman!!
जवाब देंहटाएंEach one is perfect & true in itself.
कटु यथार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..!!
जवाब देंहटाएंइस दौर ने कुछ दुरिया कम करी हैं,तो बहुत फासले खड़े कर दिए हैं
शहरी जिंदगी को बढ़िया शब्द दिए हैं आपने सुमन जी
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदीवारें ही दीवारें नहीं दीखते अब घर यारों
बड़े शहरों के हालात कैसे आज बदले है.
उलझन आज दिल में है कैसी आज मुश्किल है
समय बदला, जगह बदली क्यों रिश्तें आज बदले हैं
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.