अकसर ऐसा होता है कि सपने टूट जाया करते हैं पर इंसान जज़्बाती है ना.............. फिर से नई आस के साथ सपने बुनने लगता है टूटता है, बिखरता है पर सपने संजोना बन्द नहीं करता.............बस सपनों को हकीकत में बदलते देखना चाहता है.........
संजोया सपना
संजोया हर सपना
पूरा कहां होता है ;
फिर भी हर इंसान
इनमें खोया रहता है ;
अकसर जब नींद में
सपनों का डेरा होता है ;
सच होने की आस लिए
नया सवेरा होता है ;
हर पल जब दिन का
रूख बदलता जाता है ;
सपनों के जहाँ में
हकीकत का दौर आता है ;
हर शाम गमगीन
रात अश्कों को पहरा होता है ;
बहता जाता है हर सपना
जो दिल ने संजोया होता है !!
सुमन ‘मीत’
कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
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शुक्रवार, 21 मई 2010
बुधवार, 12 मई 2010
तुम्हें बदलना होगा !
तुम्हें बदलना होगा !
जीवन की राहें
बहुत हैं पथरीली
तुम्हें गिर कर
फिर संभलना होगा ।
भ्रम की बाहें
बहुत हैं हठीली
छोड़ बन्धनों को
कुछ कर गुजरना होगा ।
दुनिया की निगाहें
बहुत हैं नुकीली
तुम्हें बचकर
आगे बढ़ना होगा ।
रिश्तों की हवाएँ
बहुत हैं जकड़ीली
छोड़ तृष्णा को
मुक्त हो जाना होगा ।
ऐ ‘मन’
तुम्हें बदलना होगा
बदलना होगा
बदलना होगा !!
...सुमन ‘मीत’...
जीवन की राहें
बहुत हैं पथरीली
तुम्हें गिर कर
फिर संभलना होगा ।
भ्रम की बाहें
बहुत हैं हठीली
छोड़ बन्धनों को
कुछ कर गुजरना होगा ।
दुनिया की निगाहें
बहुत हैं नुकीली
तुम्हें बचकर
आगे बढ़ना होगा ।
रिश्तों की हवाएँ
बहुत हैं जकड़ीली
छोड़ तृष्णा को
मुक्त हो जाना होगा ।
ऐ ‘मन’
तुम्हें बदलना होगा
बदलना होगा
बदलना होगा !!
...सुमन ‘मीत’...
रविवार, 9 मई 2010
अर्पित ‘सुमन’ ..... एक प्रयास
आज ये सफर 5 महिनों का होने को आया है जब कुछ लफ्ज़ मेरी
डायरी के पन्नों से इस ब्लॉग पर उभर आये थे । उस वक्त सच
कहूं तो ये सोचा न था कि ये सफर इतना सुखद होगा आप सभी
के साथ। इन बीते महिनों में आप सभी का भरपूर सहयोग मिला
और सुझाव भी। इतने दूर होकर भी हम सब जुड़े है एक डोर से ,
शब्दों की डोर से.......।
डायरी के पन्नों से इस ब्लॉग पर उभर आये थे । उस वक्त सच
कहूं तो ये सोचा न था कि ये सफर इतना सुखद होगा आप सभी
के साथ। इन बीते महिनों में आप सभी का भरपूर सहयोग मिला
और सुझाव भी। इतने दूर होकर भी हम सब जुड़े है एक डोर से ,
शब्दों की डोर से.......।
आज अपना एक और ब्लॉग शुरू कर रही
हूँ अर्पित‘सुमन’http://arpitsuman.blogspot.com/ इस आशा के साथ
कि मेरे इस प्रयास में आप सभी बागवां बन कर सुमन की बगिया
को अपने स्पर्श से महक देते रहगें ।
सुमन ‘मीत’
चन्द पंक्तियां लिखी हैं .............
जुश्तजू
कभी जिन आँखों में
चाहत की जुश्तजू थी
आज देखा तो जाना
वो नज़र बदल गई.................
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