ऐ मेरे नादान दिल, अब तो संभल जा
सच का सामना कर, सपनों को भूल जा
सेहरा-ए-जिंदगी है ये, गहरा सागर नहीं है
अनबुझी सी है प्यास, न तू इसमें डूब जा
ऐ मेरे नादान दिल अब तो ....
सुलगती शमा है ये, सिंदूरी शाम नहीं है
अनबुझी सी है प्यास, न तू इसमें डूब जा
ऐ मेरे नादान दिल अब तो ....
सुलगती शमा है ये, सिंदूरी शाम नहीं है
पिघलता है जिस्म इसमें, न तू इसमें जल जा
ऐ मेरे नादान दिल अब तो .....
महफ़िल-ए-तन्हाई है ये, जश्न-ए-शाम नहीं है
तिश्नगी है जाम इसका, न तू इसे पिए जा
ऐ मेरे नादान दिल अब तो .....
उल्फत का दरिया है, ठहरा साहिल नहीं है
डूबते हैं अरमान इसमें, न तू इसमें बह जा
ऐ मेरे नादान दिल, अब तो संभल जा
सच का सामना कर, सपनों को भूल जा !!
सु-मन