मैंने एक चाह भर की
कि आज रात तुम ना
निकलो
मैं खुली खिड़की से
निहारूं राह
पर तुम ना आओ
अजीब सी शै है
तुम्हारी चाहना
एक अनबुझ प्यास |
बाहर बारिश की
बूंदों ने
कुछ आस बंधाई है
आज रात तुम
बादलों के पीछे छिप
जाना
धुल जाये जब सुबह
तलक
कलंक का ठीका
मेरी खिड़की तले
बिखेर देना तुम हल्की
चाँदनी |
***
कलंक चौथ एक आस्था
...गणेश चतुर्थी एक
उत्सव ..सब मन का फेर है...तुम्हारी चाहना इससे इतर कुछ भी नहीं !!
सु-मन
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कैलाश जी
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ! भावपूर्ण शब्द
जवाब देंहटाएंयोगी जी धन्यवाद
हटाएंइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 31/08/2014 को "कौवे की मौत पर"चर्चा मंच:1722 पर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंहमारे रक्षक हैं पेड़ !
धर्म संसद में हंगामा
सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंदिनांक 01/09/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
खूब .... बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है सुमन जी. आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर खूबसूरत रचना , सुमन जी धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुंदर-मासूम चाहना.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
उम्दा. ......बेहतरीन !!
जवाब देंहटाएंशब्द और भाव का सुंदर संगम
जवाब देंहटाएंbhawpurn chahat.....umda
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंक्या बात वाह!
जवाब देंहटाएंमन के सुन्दर भावों को व्यक्त करती प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है --
भीतर ही भीतर -------
हाँ एक कलंक लगने का दिन और वही गणपति के स्थापन का शुभ दिन। शायद हमारी मान्यताएं युग विरोधाभासी भी हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबढ़िया अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना ...
जवाब देंहटाएंcomposition full of love and affection...
जवाब देंहटाएंवाह , बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबधाई !
कोमल भवसिक्त अति सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल माधुर्यसिक्त भावनाओं से पूर्ण - सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत अभिव्यक्ति .... उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार कणिका
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