आज बहुत दिन ऑफिस जाना हुआ |
आज मिली फिर तुमसे
बैठी कुछ देर तुम संग
की दो चार बातें
खूब चहक रही तुम
लाल पीले फूलों संग
बोटल-ब्रश भी
झूम रहा था लाली से
गुलाब और चमेली
महक रहे थे शान से
नहीं था भय तुम्हें
किसी संक्रमण का
प्रकृति को खुद में समाये
ले रही थी जीवंत साँसे
दे रही थी मानव को
जीवन का असली सन्देश |
मेरी फुलवारी !
कि तुम मेरे जीवंत होने का साक्ष्य हो ||
सु-मन
पढ़े ~ Day 10