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मंगलवार, 24 मार्च 2015

पहले और बाद











उम्र शुरू होने के ठीक पहले
और उम्र ढल जाने के ठीक बाद
होती हैं बहुत सारी बातें
अनगिनत आँकी जाने वाली अटकलें
रख लिया जाता वजूद कसौटी पर
दम तोड़ जाते हैं कुछ रिश्ते
और चेहरा देता है गवाही
वक़्त के कटहरे में खड़े होकर ।

हाथ थामने से ठीक पहले
और हाथ छूट जाने के ठीक बाद
होता है बहुत कुछ कहने को
रह जाते हैं जुबान पर टिक कर
कुछ अनकहे शब्द
दिल की हांडी में पकते रहते है
कुछ ख़्वाब, दिलासे और ढेर सारे जज़्बात
जिंदगी होती है बसर
यादों की चिंगारी में जलकर ।

गांठ पड़ने से ठीक पहले
और गांठ खुल जाने के ठीक बाद
होता है रिश्ता कुछ और
बिखर जाती हैं हर तरफ
वहम के बेहिसाब रेशों की कतरने
टिकी रहती है सूई की नोक पर 
विश्वास के पहनावे से उधड़ी आस
उम्र देखती है एक कोने में बैठ
रफ्फू के कच्चे धागों की पकड़ ।

अंतिम साँस से ठीक पहले 
और साँस टूट जाने के ठीक बाद 
होता है क्या कुछ, नहीं पता
पता है तो बस इतना 
साँस लेना एक आदत है शायद 
एक निर्लज आदत ,एक बेशर्म रवायत 
जो नहीं बदलती 
उम्र शुरू होने से उम्र ढलने तक
जो नहीं छूटती
हाथ थामने से हाथ छूटने तक 
जो नहीं टूटती 
गाँठ पड़ने से गाँठ खुलने तक ।

पहले पल से ठीक पहले 
और बाद पल के ठीक बाद 
होता है बहुत कुछ अनचिन्हा
इन शब्दों के दायरे से परे 
चिन्हित है तो बस इतना कि 
एक आदत में गुजर जाती है जिंदगी
एक गाँठ में सिमट जाती है आख़िरी साँस !!


सु-मन 
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