तन्हा सी इस जिंदगी को
कोई सहारा तो चाहिए
दर दर भटकती रूह को
कोई ठिकाना तो चाहिए
तन्हा सी..............
भंवर में घिरी कश्ती को
कोई किनारा तो चाहिए
लहरों में फंसे मुसाफिर को
तिनके का सहारा तो चाहिए
तन्हा सी..............
जीवन में आए सैलाब को
थमने का भरोसा तो चाहिए
मन में उमड़े ख़यालों को
सच होने का दिलासा तो चाहिए
तन्हा सी..............
आँखों में घिर आए बादलों को
बहने का बहाना तो चाहिए
आस में डूबी इन निगाहों को
मंजिल का नज़ारा तो चाहिए
तन्हा सी..............
हर पल मरती इन साँसों को
जीने का सबब तो चाहिए
अंधियारे रास्तों पर बढ़ते कदमों को
उजाले की आहट तो चाहिए
तन्हा सी..............
दिशाहीन दिमागी सोचों को
दिशा की चाहत तो चाहिए
अंतरमन में उठते भावों को
शब्दों की मिलावट तो चाहिए
तन्हा सी..............
खो ना जाऊँ दुनिया की भीड़ में ‘तन्हा’
कुछ कदम तक साथ तो चाहिए
तेरे बिना मैं कुछ नहीं ‘मालिक’
तेरे साथ की जरुरत तो चाहिए
तन्हा सी..............
तन्हा सी..............
सु..मन