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गुरुवार, 26 सितंबर 2013

सितम्बर की अध ठंडी रात












सितम्बर की इस अध ठंडी रात में
मैं देख रही हूँ
अपने हिस्से का एक खुला आकाश
और उसमे उजला सा आधा चाँद |

आधे आँगन में पड़ती
40 वोल्ट के बल्व की मद्धम रोशनी
मेरे जिस्म को छूकर
स्पन्दन सा करती ये मस्त बयार |

पास बुलाते गहरे साये से पेड़
मुझे लग रहे मेरे हमसफ़र
सुन रहा मुझे
झींगुरों का ये मधुर संगीत |

स्वप्न सा प्रतीत होता यथार्थ
मेरी आँखों को दे रहा सकून
मन कह रहा हौले से
कुछ अनकहा कुछ अनसुना !!



सु..मन 

मंगलवार, 10 सितंबर 2013

वक्त की सलीब


















वक्त की सलीब पर
टांग दिए हैं वो लम्हें
गाढ़ दी है फासलों की खूंटी 

जिंदगी का एक टुकड़ा
ले रहा अब आखिरी साँसे !!



सु..मन 
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