वो लड़की
रोटी सेंकते हुए
नहीं मिटने देना चाहती
अपने हाथों में लगी
नेलपॉलिश
चिमटे से पकड़ कर
गुब्बारे सी फूलती रोटी
सहेज कर रख लेती
कैसरोल में
नहीं माँजना चाहती
सिंक में पड़े जूठे बर्तन
गुलाबी रंगे नाखूनों से
नहीं उतरने देना चाहती
सुर्ख रंगत
.
.
पर कुछ ही देर बाद
अपनी इस चाहत को
दरकिनार कर
बेपरवाह हो
माँजने लगती है
बर्तन का ढेर
ये समझकर कि
नहीं रहती कोई भी चीज
हमेशा बरकरार
फूली रोटी के पिचकने की तरह
वो लड़की बेलन सी घुमावदार है !!
सु-मन