बदलते वक्त ने
बदला हर नज़र को
काटों से भर दिया
मेरे इस चमन को
कि हर सुमन के हिस्से में
बस एक उदासी है
न समझ पाया वो फिजां को
क्यों इतना जज़्बाती है
जब जब है वो टुटा डाली से
हर सपना उसका चूर हुआ
मुरझाना ही है नसीब उसका
ये उसको महसूस हुआ
मुरझाना ही है नसीब उसका
ये उसको.....................!!
सु..मन