एक हद तक
जीये जा सकते हैं सब सुख
एक हद तक ही
सहा जा सकता है कोई दुख
सरल सी चाही हुई जिंदगी में
मिलती हैं कई उलझने
बेहिच बदल देते हैं हम रास्ता
मनचाहे को पाने के लिए
भूल जाते हैं अक्सर
पाने के लिए कुछ खोने की गहरी बात
तय करना चाहते हैं खुद
अपने आकाश का दायरा
छोड़ देते हैं अपना धरातल
निष्क्रिय समझ कर लेते किनारा
आज को कल में बदलते देख
बदल जाते हैं हम भी
करते है भूलने की कोशिश
भूत के गोद में बिताये मुश्किल दिनों को
बीतते जाते हैं यूँ ही
साल दर साल
तय होती रहती है सोच की हदें
ख़्वाब और ख़याल के मायने जान कर
भविष्य के गर्भ में छिपा है क्या कुछ
जाने बगैर चाहते हैं हम
अपने हिस्से में सिर्फ ख़ुशी
जो बीता, वो था कभी भविष्य
जो आज है भविष्य
होगा कल का वर्तमान
हर समय की तय होती है एक हद
सुख और दुख के बंटवारे के साथ
भोगा हुआ सुख
बढ़ा देता है और सुखों की कामना
भुलाया हुआ दुख
चाह कर भी नहीं हो पाता हमसे जुदा
दरअसल,
एक हद तक
भुला जा सकता है कोई भोगा दुख
एक हद तक ही
की जा सकती है किसी सुख की कामना !!
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सु-मन