तेरे बगैर............
मेरे मेहरबां
मुड़ के देख ज़रा
कैसी बेज़ारी से
गुजरता हैमेरा हर लम्हा
तो रोशन था
मेरे ज़र्रे-ज़र्रे में
सकूं का दिया
अब तू नहीं तो – 2
जलता है
मेरा हर कतरा
गम के दिये में
तेरे बगैर.........................
तुम थे – 2
तो महकती थी
तेरी खुशबू से
मेरी फुलवारी
अब तू नहीं तो – 2
सिमट गई है
मेरी हर डाली
यादों की परछाई में
तेरे बगैर....................
तुम थे तो मैं था – 2
मेरे होने का था
कुछ सबब
सींच कर अपने प्यार से
बनाया था ये महल
अब तू नहीं तो – 2
टूट कर बिखर गया हूँ
इक मकां सा बन गया हूँ
तेरे बगैर...............
तेरे बगैर...................
सु..मन