कभी कहीं
साँझ सवेरे
जब आती हो तुम
तसव्वुर में मेरे ;
सहेज कर रख लेती हूँ
दामन में अपने
ज्यूं आँखों में
समेट लेते हैं सपने ;
न होती आने की
किसी को भी आहट
सिर्फ खाली पन्नों पर
होती है कुछ लिखावट !!
सु.मन
साँझ सवेरे
जब आती हो तुम
तसव्वुर में मेरे ;
सहेज कर रख लेती हूँ
दामन में अपने
ज्यूं आँखों में
समेट लेते हैं सपने ;
न होती आने की
किसी को भी आहट
सिर्फ खाली पन्नों पर
होती है कुछ लिखावट !!
सु.मन