किवाड़ बंद हैं सब मन्दिर के
हर ईश्वर लीन एकांतवास में
जन कल्याण की खातिर
कर रहा आराधना आदिशक्ति की
आवाहन माँ गौरी का करके
प्रकृति स्वरूपा का कर रहा वन्दन
समझ गया है इंसान भी
आंतरिक भक्ति का ज्ञान
मान कर घर को ही मंदिर
पढ़ रहा खुद देवी पाठ
माँग रहा जीवन की रोशनी
जला कर अखण्ड दीप
नवरात्रे में नहीं सजी दुकानें
न ही लगी मंदिरों में कतारें
न ही गूँजे माँ के जयकारे
इस बरस-
माँ ले रही भक्ति की परीक्षा !!
सु-मन
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