आजकल चाँद बादलों के संग आँख मिचोली करता रहता है और मुझे मेरा आसमां कुछ यूं नजर आता है.........................
मेरा आसमां
आज मेरा आसमां धुंधला सा है
सितारों के बगैर चाँद सूना सा है;
बादलों की परछाई जब उसे घेर लेती
गुमसुम सी चाँदनी जैसे मुँह फेर लेती;
बादलों ने भी रूख पे नकाब है ओढ़ा
छलक पड़ेगा नीर जब सरकेगा वो थोड़ा;
तब छंटेगी धुंध मेरे आसमां की
निखर आयेगी चाँदनी इक मेहरबां सी ..........!!
सु..मन